बया अप्रैल-जून 2016, ‘विश्वविद्यालय परिसर’ पर केन्द्रित अंक का मुख्य आकर्षण :
विचार खंड : विश्वविद्यालय परिसर :
हमारा परिसर :
जेएनयू : आंदोलनों की वैचारिकियों और वैचारिकियों के आंदोलन-स्थल / आनन्द पाण्डेय
जेएनयू डायरी : और लडऩे की ज़रूरत बाक़ी है / मिथिलेश प्रियदर्शी
विश्वविद्यालय : शिक्षा का केंद्र या राजनीति का अखाड़ा / जगन्नाथ प्रसाद दुबे
पटना-सिकंदराबाद एक्सप्रेस वाया 'बनारस’ / सुधांशु कुमार
पटना में आर्ट कॉलेज बचाओ आंदोलन का इंकलाब / पुष्पराज
गंगा-जमुनी संस्कृति के साये में.../ अर्शिया रसूल
जब लड़कियाँ रात भर धरने पर बैठीं.../नीलोफ़र उस्मानी
‘देशभक्ति का मनोविज्ञान’ :
राष्ट्र : वाद और द्रोह / विनय कुमार
‘दस्तावेज़’ :
सितारों तक की यात्रा / रोहित वेमुला
‘प्रसंगत:’ :
हम नौजवान थे और विश्वविद्यालय में थे / पंकज श्रीवास्तव
‘मुलाहज़ा’ :
कविता की नई पौद / मदन कश्यप
कहानी : दस्तावेज़ :
घुसपैठिये / ओमप्रकाश वाल्मीकि
कहानी : प्रसंगत: :
फैक्ट्री / लाल्टू
कहानी : विश्वविद्यालय परिसर से :
पथर फोड़वा / अनिल कार्की
विद्रोहिणी / रूपाली सिंह
अड़्याठ कथा / पवनेश ठकुराठी 'पवन’
यादों का जलता दीया / फिरोज़ आलम 'जेन’
कविताएँ : विश्वविद्यालय परिसर से :
( हमें जिन 61 छात्र-छात्राओं की कविताएँ इस अंक के लिए प्राप्त हुईं उन सभी की कविताएँ इस अंक में हैं। तीन सौ के क़रीब प्राप्त कविताओं में से चयन के बाद दो सौ के क़रीब यहाँ प्रस्तुत की गई हैं। यहाँ हमें हिंदी कविता का शानदार भविष्य नज़र आया इसलिए किसी को भी खारिज करना मुनासिब नहीं लगा। इनमें से कई आगे चलकर बड़े और मशहूर कवि होंगे। गौर करने वाली बात है कि इनमें चालीस से ज़्यादा ऐसे कवि हैं जो पहली बार किसी साहित्यिक पत्रिका में छप रहे हैं। गौर करने वाली बात यह भी है कि इनमें पच्चीस छात्राएँ हैं और दलित, पिछड़ी, आदिवासी आदि समुदायों सहित लगभग भारत के बड़े हिस्से की सहभागिता है। देश के अलग-अलग क्षेत्रों, वर्गों, वर्णों से आये इन विद्यार्थी-कवियों में अनेक स्तर पर विविधता के बावजूद प्रतिरोध के स्वर और जीवन के प्रति नज़रिए में अद्भुत साम्य है। व्यापक ऊर्जा और क्षमता से भरी यह पीढ़ी हिंदी कविता के उज्ज्वल भविष्य के प्रति आश्वस्त करती है। बया परिवार की तरफ़ से हम इनका स्वागत करते हैं और हार्दिक शुभकामनाएँ देते हैं।
—संपादक)
शालू देवी प्रजापति, दृष्टि गांधी, सूरज त्रिपाठी, अजय कुमार गौतम, मुदस्सिर अहमद भट्ट, प्रणव कुमार मिश्र, रेणु कुमारी, सेतु कुमार वर्मा, जितेन, कैफ़ी हाशमी, पंकज कुमार मिश्र, कुमार मंगलम, आयुष गुप्त, दिव्यांशु पाल नागर, अभिनव, आस्था, अमन त्रिपाठी, अदिति शर्मा, शुभम श्री, वर्तिका सिंह, मनीष, आरती रानी प्रजापति, दिनेश कुमार शर्मा, अमित कुमार सिंह, प्रीति सुमन, शुभम, प्रिंस कुमार, समीक्षा, राजकुमारी, राकेश शर्मा, चन्द्रभूषण चन्द्र, दिनेश कुमार, सुरेश पवार, आदित्य राज सोमानी, शेखर सिंह, स्नेहा सिंह, पम्मी राय, प्रियंका शुक्ला, अमन शुक्ला, पल्लवी मिश्रा, विजय सिंह, मनु कंचन, वत्सला नाईक, शशिकला मौर्य, खेमकरण 'सोमन’, नीता तोरड़े, रेणु, विनायक सोनी, शिव कुमार पटेल, बीरज पाण्डेय, सत्यनारायण प्रियदर्शी, अमित कुमार मिश्रा, प्रमोद राजभर, रितु अहलावत, शुभम नेमा, वागीशा, अर्शिया रसूल, आशीष तंवर, रणजीत तिवारी, अर्चिता सिंह, लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता
‘स्मृति शेष’ : मुद्राराक्षस की याद : तर्पण की मुद्रा में नहीं / सुरेश सलिल
