''पूर्वोत्तर सिर्फ राजनीतिक उपेक्षा का शिकार नहीं मीडिया की भी देन है. केंद्र सरकार की दिलचस्पी वहाँ के संसाधनों में है जनता में नहीं.'' यह बात ''वह भी कोई देस है महराज'' के लेखक-पत्रकार अनिल यादव ने कही अंतिका प्रकाशन की तरफ से बी.एच.यू. के राधाकृष्णन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में. तीन दिनों के इस आयोजन में सबसे सराहनीय रहा आख़िरी दिन 29 सितम्बर को ''वह भी कोई देस है महराज'' यात्रा-वृत्तांत पुस्तक के बहाने
''पूर्वोत्तर का वर्तमान संकट'' पर संपन्न चर्चा और संवाद का सत्र. इस सत्र में वरिष्ठ कवि ज्ञानेन्द्रपति और बलराज पाण्डेय के सान्निध्य में कथाकार-पत्रकार अनिल यादव ने अपने वक्तव्य के बाद ढाई घंटे तक श्रोताओं से जो जीवंत संवाद किया वह यादगार रहा. कवि ज्ञानेंद्रपति ने इस यात्रा पुस्तक को न मात्र विषय के लिहाज से मील का पत्थर कहा बल्कि काव्यात्मक भाषा, शैली की नूतनता के लिहाज से भी हिंदी की यात्रा पुस्तकों में इसे अद्वितीय करार दिया. बलराज पाण्डेय ने अनिल यादव की सामाजिक-राजनीतिक सूझ-बूझ के साथ ही वर्णन-शैली की जमकर तारीफ़ की.
अंतिम सत्र में वरिष्ठ कवि ज्ञानेन्द्रपति की अध्यक्षता में आमंत्रित कवियों का काव्य-पाठ संपन्न हुआ जिसमें अन्य प्रमुख थे बलराज पाण्डेय, चन्द्रकला त्रिपाठी, अनुज लुगुन, सच्चिदानंद विशाख, रामाज्ञा शशिधर, रविशंकर उपाध्याय.
इससे पहले 27 सितम्बर को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में युवा पत्रकार सैयद ज़ैग़म इमाम के नवीनतम उपन्यास "मैं मुहब्बत" का लोकार्पण किया वरिष्ठ कथाकार काशीनाथ सिंह ने और चर्चा में शामिल हुए दैनिक जागरण के स्थानीय संपादक आशुतोष शुक्ला और दैनिक हिन्दुस्तान के स्थानीय संपादक अनिल भास्कर. काशीनाथ सिंह ने इस उपन्यास की पठनीयता की विशेष चर्चा की.
दूसरे दिन 28 सितम्बर को युवा कवि रामाज्ञा शशिधर की वैचारिक-आलोचनात्मक पुस्तक ''किसान आन्दोलन की साहित्यिक जमीन'' का भी लोकार्पण कथाकार काशीनाथ सिंह ने ही किया. उन्होंने किसान सन्दर्भों पर लिखने की जरूरत पर बल दिया. प्रमुख वक्ता थे लाल बहादुर वर्मा, अवधेश प्रधान, बलराज पाण्डेय, वैभव सिंह आदि.
इसके अलावा विशेष आकर्षण का केंद्र रही अंतिका प्रकाशन की पुस्तकों एवं पत्रिकाओं की प्रदर्शनी जो तीनों दिन लगी रही और वहाँ बिक्री की स्थिति यह रही कि अनिल यादव, अरुण प्रकाश, अशोक भौमिक सहित कई लेखकों की किताबों की कमी पड़ गई.
धन्यवाद ज्ञापन के बहाने आयोजन समापन-क्रम में अंतिका प्रकाशन से जुड़े कहानीकार गौरीनाथ ने कहा, '' पाठकों का यह प्रेम हमें दूर-दराज के लोगों की सुविधा के ख्याल से ऐसे आयोजन लगातार करने को प्रेरित करते हैं. बनारस में त्योहारों का मौसम साहित्यिक हलचलों के साथ शुरू हुआ है और अंतिका प्रकाशन यहाँ के साहित्य प्रेमियों के लिए समकालीन विषयों पर नवीनतम पुस्तकें लेकर आगे भी आता रहेगा. बड़े भाई सामान वरिष्ठ साहित्यकार काशीनाथ सिंह, ज्ञानेंद्रपति, बलराज पाण्डेय का स्नेह-सहयोग हमारे लिए बहुत बड़ा संबल है. बनारस की जनता, यहाँ के छात्रों का प्रेम भी अविस्मरनीय.''बी.एच.यू. हिन्दी विभाग के सहयोग से संपन्न इस कार्यक्रम में बाकी विभागों की सराहनीय उपस्थिति को देखते हुए आगे से इसके स्वरुप को विस्तार देने पर भी विचार हुआ.
--- दीपक दिनकर
