विश्व पुस्तक मेले में चंद्रेश्वर कर्ण रचनावली' के लोकार्पण के अवसर पर आलोचक नामवर सिंह, मैनेजर पाण्डेय, विष्णु नागर, मदन कश्यप, महेश कटारे, नुजहत हसन एवं अन्य विद्वानों ने विस्तार से चंद्रेश्वर कर्ण के रचना कर्म पर चर्चा की. नामवर जी ने 40 साल पुराने संस्मरण को साझा किया. प्रो.मैनेजर पाण्डेय ने कहा की अमूमन रचनावली किसी लेखक के देहावसान पर प्रकाशित होती है लेकिन यहाँ से एक नयी परंपरा की शुरुआत होनी चाहिए. क्योंकि रचनावली के बाद उस लेखक की चर्चा समाप्त हो जाती है लेकिन 'चंद्रेश्वर कर्ण रचनावली' से इस लेखक की चर्चा की शुरुआत होगी. उन्होंने आगे कहा की चंद्रेश्वर कर्ण मूलतः कथा-आलोचक हैं पर उनकी आलोचना का क्षेत्र व्यापक है.उन्होंने साहित्य की हर विधाओं पर लिखा है. चंद्रेश्वर जी झारखण्ड के आदिवासी जीवन, लोक-नृत्य,गीत एवं समस्याओं पर जिस गंभीरता के साथ लिखा है वह अन्यत्र दुर्लभ है.
